
कल्पेशजी नहीं रहे। 12 जुलाई की रात दस बजे से दो बजे के बीच सांसों से जद्दोजहद करते हुए वे हमसे विदा हो गए। ‘असंभव के विरुद्ध’ पाठकों के लिए कॉलम था। परंतु भास्कर में असंभव के विरुद्ध जो नियमित आप देखते और पढ़ते हैं, वह कल्पेश का पैशन और जिद थी। ‘महाभारत-2019’ पूरे एक साल उनका इस वर्ष का सबसे बड़ा मिशन था।
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