
तीन महीने पहले तक कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के दावे हो रहे थे, लेकिन चुनाव करीब आते-आते यह मुद्दा अचानक खत्म हो गया। तीनों प्रमुख पार्टियों ने अपने-अपने मैनिफेस्टो में कश्मीर का जिक्र चंद लाइनों में समेट दिया। जबकि पिछले 14 आम चुनावों में इस मुद्दे ने सियासी दलों को सात बार सत्ता दिलाने में मदद की थी। अब पाकिस्तान की अवाम को कश्मीर में दिलचस्पी नहीं रही। वह भारत का जिक्र कर अपने नेताओं से पूछती है कि जीत के बाद हमारी तरक्की के लिए क्या करोगे? पाकिस्तान में 25 जुलाई को वोटिंग होनी है।
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